जयपुर से गलता जाते हैं तो एक मोड़ कानोता बांध की और जाता है...अभी बहुत समय नहीं हुआ मित्र आशुतोष सिंह के साथ कानोता जाना हुआ. कानोता झील का पानी और आसपास का सुरम्य वातावरण देख मन हुआ यंही बस जाए...यह भला क्या बस में है ! भले वंहा नहीं हूँ, छाया-चित्रों से आज वंहा के पलों को फिर से जी रहा हूँ...