यात्राये मन को मथती है...अपने को ठीक से जान पाने का जतन कराती हुई. शिव की तलाश में अमरकंटक हो आया. नर्मदा के उद्गम स्थल. लगा, अपने होने को सार्थक करने की ओर जैसे कुछ कदम बढ़ा हूँ...आदि शंकराचार्य का नर्मदाष्टकम् पग पग पर स्मरण होता रहा "त्वदीय पाद पंकजम् नमामि देवि नर्मदे"...