राष्ट्रीय ललित कला अकादेमी के क्षेत्रीय केंद्र, लखनऊ और जे कृष्णमूर्ति फाउंडेसन, इंडिया के आमन्त्रण पर पिछले दिनों वाराणसी में "कला, कला आलोचना और बाज़ार" पर व्याखान देने जाना हुआ था। मेरे लिए यह बेहद सुखद अनुभव था, इसलिए की भगवान् शिव के धाम जाने का यह सुअवसर था। काशी विश्वनाथ के दर्शन किये। काशी के घाटों पर सुबह और सांझ विचरा। कहूँ, बनारस
की सुबह देखी, सांझ देखी। अदभूत था देखने का यह अनुभव। फुर्सत में इस सब पर लिखूंगा भी। फिलहाल जमकर जो फोटोग्राफी की, उसी से कुछेक द्रश्यों से काम चलायें...