मित्र शालीन के साथ के साथ रविवार को स्मृति वन जाना हुआ . बेटा निहार, बेटी यशस्वी भी साथ थे. इधर-उधर प्रकृति में विचरते पक्षियों का कलरव सुना, मुयुर को नृत्य करते देखा...पेड़ चढ़ती गिलहरी हमसे बतीयाई , फूल हमारे साथ मुस्कुराए, तितली साथ चली. सच! बड़ा मजा आया. प्रकृति ही है जो यह सब अनुभव इस तरह देती है.
बहरहाल , ...चाहा केमरा भी वह सब देख , फिर से दिखाए. पर भला यह क्या संभव है।..नहीं ना! सो जो केमरे की आँख ने देखा....आपके लिए यहाँ संजो रहा हूँ...