चेरेवैती...चेरेवैती यानी चलते रहें, चलते रहें. मन को सुकून देती है

यायावरी की यादें ... कैमरे ने जो देखा लिख दिया...स्म्रति के द्र्श्यलेखों को पढ़ें

आप भी..

Photos Copyright : Dr. Rajesh Kumar Vyas


Sunday, June 26, 2011

अगर फिरदौस बररुए ज़मीन अस्त, हमीं नसतो हमीं नसतो,हमीं नस्त

यह 1989 की याद है. तब कॉलेज में  था, प्री-डिग्री में.  पहले पहल राष्ट्रिय  कैडेट कोर  के अंतर्गत  ट्रेकिंग कैंप में वंहा जाना हुआ था...श्रीनगर के पास ही पहाड़ों से घिरे सुंदर स्थल बुर्ज़ाम हमारे कैंप का  पड़ाव था. करीब एक माह के दौरान ट्रेकिंग करते कश्मीर को जब देखा तो लगा सच में धरती का स्वर्ग है वह. आखिर नूरजंहा   ने इसे देख कर यूँ ही  थोड़े ही कहा था "अगर फिरदौस बररुए ज़मीन अस्त, हमीं नसतो हमीं नसतो,हमीं नस्त" यानी अगर दुनिया में है ज़न्नत कहीं पर; यहीं पर है, यहीं पर है, यहीं पर.
बहरहाल, कश्मीर की धरा का सौन्दर्य मन में ऐसा बसा की सन 2000 में फिर से कश्मीर की धरा पर एक सप्ताह के लिए गया. धरती के स्वर्ग को तब जो कैमरे ने संजोया, कहीं भूल से पड़ा ही रह गया. बीते दिनों जब इन छाया-चित्रों को पाया तो लगा आप से भी इन्हें साझा करूं...

















 

Saturday, June 11, 2011

उत्कल भूमि के लिंगराज मंदिर में...


उत्कल भूमि में है देश का ख्यात लिंगराज मंदिर. भुवनेश्वर दूसरा काशी कहा जाता है...बाहर से नया अंदर से प्राचीन शहर.  भुवन के इश्वर का वास स्थल. लिंगराज में  शिव और विष्णु एक साथ हैं. विष्णु की शालिग्राम मूर्ति यहाँ है, इसीलिये तुलशी और बील यंहा चढ़ते हैं.  राष्ट्रिय विज्ञानं कांग्रेस के न्यूज़ लैटर के सम्पादन प्रयोजन से कुछ समय पहले भुवनेश्वर जाना हुआ था...तभी लिए थे यह छाया-चित्र. आप भी करें आस्वाद...