चेरेवैती...चेरेवैती यानी चलते रहें, चलते रहें. मन को सुकून देती है

यायावरी की यादें ... कैमरे ने जो देखा लिख दिया...स्म्रति के द्र्श्यलेखों को पढ़ें

आप भी..

Photos Copyright : Dr. Rajesh Kumar Vyas


Thursday, August 25, 2016

अगर फिरदौस बर्रूए-जमीनस्तो, हमीनस्त, हमीनस्त, हमीनस्तो


"... क्षितिज से विदा लेता सूर्य जैसे मेरे अचरज पर मुस्करा रहा था। श्रीनगर में भोर का भी यही हाल है। पांच बजे पूरा शहर प्रकाष से नहा उठता है और सांझ भी देर से ही होती है। अभी यहीं पर बितााने है, बहुत से दिन। ड्राईवर को दूसरे दिन सोनमर्ग ले चलने के लिए कहता हूं।...गाड़ी विश्राम गृह की ओर लौट रही है। डल झील पर जमे हाउस बोट भी प्रकाष से नहा उठे हैं। पानी पर पड़ती प्रकाष की छाया, रंगो का अद्भुत दृष्य रच रही है।...

"... हर ओर, खामोषी का मंजर था। केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल की 21 वीं बटालियन के ऑफिस में ही बने अतिथि कक्ष की खिड़की का पर्दा हटा मैंने बाहर झांका। वातावरण में पसरी मातमी चुप्पी के बावजूद सीआरपीएफ के जवान डल झील के किनारे मुस्तैदी से अपने कर्त्तव्य को अंजाम दे रहे थे।... "

--शीघ्र प्रकाश्य यात्रा वृतांत पुस्तक से