चेरेवैती...चेरेवैती यानी चलते रहें, चलते रहें. मन को सुकून देती है

यायावरी की यादें ... कैमरे ने जो देखा लिख दिया...स्म्रति के द्र्श्यलेखों को पढ़ें

आप भी..

Photos Copyright : Dr. Rajesh Kumar Vyas


Saturday, March 21, 2015

खजुराहो में ...

मध्यप्रदेश  के संस्कृति विभाग के आमंत्रण पर कुछ दिन पहले खजुराहो जाना हुआ। खजुराहो नृत्य उत्सव में ‘कला वार्ता’ के तहत ‘कलाओं के अंर्तसंबंधों’ पर व्याख्यान तो दिया ही, खजुराहो के शिल्प वैभव को गहरे से जिया भी. खजुराहो कलाओं की जीवंत अभिव्यक्ति ही तो है! 
कोई एक कला नहीं .कलाओं का समग्र वहां है। 
शिल्प संयोजन में जीवन से जुड़े सरोकारों की संगत! संगीत, नृत्य में ध्वनित होते पाषाण। हाँ, मिथुन मूर्तियां भी वहां है... पर खजुराहो का सच वही नहीं है। सच है कलाओं का मेल। आप मूर्तियां देखते हैं, देखते देखते औचक जहन में तमाम कलाओं का संयोजन, शिल्प पूर्णता को अनुभूत करने लगते हैं। मैंने भी अनुभूत किया। कैमरा साथ था ही सो जो कुछ अनुभूत किया, छायांकन में कुछ-कुछ व्यंजित भी हुआ ही। आप भी करें आस्वाद...























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