विश्व का पहला बड़ा लोकतंत्र रहा है वैशाली. कोल्हुआ ग्राम मैं हुई खुदाई से ही पर्दा उठा था विश्व के इस पहले बड़े लोकतंत्र के अतीत से. कभी 7707 भव्य प्राशाद थे यहाँ. विशिस्ट कुल भी 7707 ही थे. प्रत्येक कुल का प्रतिनिधि "राजा" कहलाता. स्वतंत्र थे यहाँ सारे ही जनपद तब. अनुपम थी वैशाली की रमणीयता. भगवान बुध की उपदेश स्थली रही है वैशाली, यहीं है उनका महारीनिर्वाण स्तूप. कोल्हुआ मैं है अशोक स्तम्भ, जिसे भीमसेन की लाठी भी कहा जातात है. आम्रपाली की कथा भी यहीं से जुडी है, भगवान् बुध ने यहीं आम्रपाली को संघ मैं प्रवेश दिलाया था. बुध के उपदेश से भिक्षुणी बन गयी नर्तकी आम्रपाली. जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर भगवान् महावीर की जन स्थली कुंडा ग्राम भी यहीं वैशाली के पास ही है.
केन्द्रीय ललित कला अकादेमी द्वारा आयोजित रास्ट्रीय कला सप्ताह में कोई दो साल पहले समकालीन कला पर व्याख्यान के लिए पटना जाना हुआ था. तभी एक दिन निकाल कर वहां से कोई ५५ किलोमीटर दूर वैशाली भी हो आया था. तभी लिए थे ये छाया-चित्र...
केन्द्रीय ललित कला अकादेमी द्वारा आयोजित रास्ट्रीय कला सप्ताह में कोई दो साल पहले समकालीन कला पर व्याख्यान के लिए पटना जाना हुआ था. तभी एक दिन निकाल कर वहां से कोई ५५ किलोमीटर दूर वैशाली भी हो आया था. तभी लिए थे ये छाया-चित्र...
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