यह ग्वालियर है...तानसेन की धरा. यहीं होता है प्रतिवर्ष तानसेन समारोह. कोई तीनेक साल पहले मध्यप्रदेश की अलाउदीन खां संगीत एवं कला अकादेमी की ओर से खाकसार भी आमंत्रित हुआ था इस समारोह के लिए,बतौर कला समीक्षक.
तानसेन संगीत समारोह में हरिप्रसाद चौरसिया के साथ ही ख्यातनाम दूजे कलाकारों को भी सुना पर कहीं पढ़ा तब भी याद आ ही रहा था, "तानसेन सिरमोर रसिक जन के...". गवालियर के किल्ले पर भी चढ़ा...अतीत को निहारा वर्तमान की इस आँख से. केमरे ने लिखे द्रश्य...
शुक्रिया।
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